Wednesday, January 4, 2017

अशोक लव की कविता - जी भाई साहब

"बस अब कविता- कहानी सब छूट गया है
घुटनों का दर्द बढ़ गया है
तुम्हारी भाभी ने आम का जो पेड़ लगाया था
वह तेज़ आँधी से उखड़ गया है।
वह तो चली गई
कई बरस हो गए
आम का पेड़ देखकर
फल खाकर
अच्छा लगता था
अब
और सन्नाटा पसर गया है।

इधर पानी एक बूँद नहीं पड़ा है
एकदम सूखा पड़ गया है
लोग भूखे प्यासे मर रहे हैं
नक्सली और मार रहे हैं
नेता लोग सब क्या करेंगे?

यहाँ तो एक-एक मिनिस्टर भ्रष्ट है
सी बी आई के छापे पड़े हैं
कई मिनिस्टर छिप-छिपा रहे हैं
खिला-विला देंगे
सब केस बंद हो जाएँगे।

दिखना कम हो गया है
अब पढ़ना - पढ़ाना छूटता जा रहा है।
तुम्हारी कविता वाली पुस्तक मिल गई है
समीक्षा भी लिख देंगे
एक लड़की आती है
पी एच डी कर रही है
बोल-बोलकर उससे लिखवा देंगे।

बाकी सब क्या कहें
कविता लिखना अलग बात है
ज़िंदगी जीना अलग बात है। "

और उन्होंने फ़ोन रख दिया।
@
अशोक लव,सूर्या अपार्टमेंट,सेक्टर-6,द्वारका,नई दिल्ली.

8 comments:

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  2. आपकी लिखी रचना  "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 12जुलाई 2017 को लिंक की गई है.................. http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!




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  3. जीवन ऐसे ही पनपता है बढ़ता है फिर बिखर जाता है..

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति आदरणीय ।

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  5. यथार्थवादी चिंतन। सुन्दर रचना।

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  6. आदरणीय अशोक जी - आपकी भावुक कर देने वाली रचना ने एक कवि की जीवन की कभी ना ढलने वाली शाम का जो सजीव चित्त्रण किया वह बहुत हृदयसपर्शी और मर्मस्पर्शी है --------- 'कविता लिखना अलग बात है ------ जिंदगी जीना अलग बात है -- बात सब कहानी कह देती है -- मुझे बहुत अच्छी लगी रचना -- आपको शुभकामना --

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  7. पत्ररूप में लिखी गई इस कविता में जिंदगी का सच है...
    सादर...

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